pankhuriyan gulab ki

यादों के समंदर में नज़र डूब रही है
फिर प्यार की लहर में नज़र डूब रही है

मिलता नहीं है आपसे तिनके का सहारा
दिल फँस गया भँवर में, नज़र डूब रही है

देखा किये हैं हमको सदा दूर ही से आप
अब आइये भी घर में, नज़र डूब रही है

सब हाथ मल रहे हैं खड़े, और ज़िंदगी
उलझाके हर नज़र में नज़र, डूब रही है

मन में बसी है और ही ख़ुशबू कोई, गुलाब !
ऐसे तो बाग़ भर में नज़र डूब रही है