pankhuriyan gulab ki

रात किस तरह यहाँ हमने बिताई होगी !
बात यह आपके जी में भी तो आयी होगी !

तड़पी होगी कोई बिजली भी तो उस दिल में कभी !
कोई बरसात उन आँखों में भी तो छायी होगी !

हम कहाँ और कहाँ आपसे मिलने का ख़याल !
किसी दुश्मन ने ये बेपर की उड़ायी होगी

अपनी नागिन-सी लटें खोल दी होंगी उसने
हम न होंगे तो क़यामत नहीं आयी होगी

रंग चेहरे का तेरे अब भी ये कहता है, गुलाब !
रात भर आँख सितारों से लड़ायी होगी