ret par chamakti maniyan

कोयल को यह चिंता कब सताती है
कि कोई उसकी रागिनी सुनता है या नहीं !
फूल को इसकी परवाह कब हुई है
कि कोई उसे डाल पर से चुनता है या नहीं !
कोई देखे चाहे मत देखे
लहरें तो सागर में नाचती ही रहती हैं,
मुझे ही इसकी आकुलता क्‍यों हो
कि कोई मेरे गीतों पर सिर धुनता है या नहीं ।