ret par chamakti maniyan

जब तक हृदय में
राग और विराग के तार जुड़े रहते हैं
तभी तक कविता का सुर फूट पाता है;
या तो केवल योगी रहता है या भोगी
जब इनमें से एक भी टूट जाता है!