ret par chamakti maniyan
जब तक हृदय में
राग और विराग के तार जुड़े रहते हैं
तभी तक कविता का सुर फूट पाता है;
या तो केवल योगी रहता है या भोगी
जब इनमें से एक भी टूट जाता है!
जब तक हृदय में
राग और विराग के तार जुड़े रहते हैं
तभी तक कविता का सुर फूट पाता है;
या तो केवल योगी रहता है या भोगी
जब इनमें से एक भी टूट जाता है!