ret par chamakti maniyan

यदि कोई झोली न फैलाये
तो क्या वृक्ष फूलना-फलना छोड़ देंगे।
यदि कोई जल भरने न आये
तो क्या निर्झर पर्वतों से निकलना छोड़ देंगे!
गाना तो कोयल का स्वभाव है,
कोई सुने चाहे मत सुने,
यंदि कोई पतंग न मँडराये
तो क्‍या दीपक भी जलना छोड देंगे!