ret par chamakti maniyan
यदि सेवा करने के बाद
तुम प्रशंसा पाने की इच्छा नहीं रखते हो,
यदि तुमने प्रेम किया है
और बदले में प्रतिदान की आशा छोड़ दी है,
यदि कवितायें लिख-लिखकर
तुम उन्हें नदी की धारा में प्रवाहित करते रहे हो,
यदि किसी से भी कोई अपेक्षा रक्खे बिना
तुमने सदैव सबकी भलाई की है,
यदि कपट और अन्याय की विजय देखकर भी
तुम्हारा मन सत्य से विमुख नहीं हुआ है
तो मरणोपरांत क्या होगा पता नहीं,
यहाँ तुम्हें कभी कोई दुख नहीं हुआ है।