ret par chamakti maniyan
आत्महत्या करने के पूर्व कोई भावुक किशोर
जो पत्र अपनी माता के नाम लिखता है,
अबोध पुत्र का मुख चूमते समय
मुमुर्षू पिता की आँखों में जो भाव दिखता है,
फाँसी की रात, कालकोठरी में पड़े
वंदी के मन में जो विचार आते हैं,
रण-शय्या में मरणासन्न सैनिक के अंतिम शब्द
अपनी पत्नी के लिए जो संदेश छोड़ जाते हैं,
यदि उसका एक अंश भी मेरे शब्दों में बँध पाता,
यदि उसकी एक झलक भी मेरी वाणी में मिल पाती,
तो विश्व का हर काव्य उसके सम्मुख फीका पड़ जाता,
अब तक की हर कविता उसके प्रवाह में बह जाती ।