roop ki dhoop

तुम हो

रात है, बयावान है, तुम हो
चाँद है, आसमान है, तुम हो
कल जो होगा सो देखा जायेगा
आज तो दिल जवान है, तुम हो

सो रहा सब जहान है, तुम हो
चाँदनी मेहरबान है, तुम हो
होंगी रातें हज़ार मरने कौ
आज तो एक जान है, तुम हो

हर घड़ी एक ध्यान है, तुम हो
हर तरफ यह गुमान है, तुम हो
मैं नहीं कुछ भी, तुम्हीं-तुम सब कुछ
जो ख़ुदाई की शान है, तुम हो

हसरतों का उफान है, तुम हो
प्यार का इम्तहान है, तुम हो
अब तो मरने की बात करता हूँ
जिंदगी है, जहान है, तुम हो

1966