sab kuchh krishnarpanam
मुझे न होगी धन की चिंता
दुख-अभाव मैं सब सह लूँगा,
मेरे अश्रु पोंछने को यदि तेरा आँचल, पास रहे।
मुझे न होगी सुख की चिंता,
मैं चिर-अनासक्त रह लूँगा,
मेरे मस्तक पर यदि तेरे करतल का आभास रहे।
मुझे न होगी जग की चिंता
मरण-ज्वार में मैं बह लूँगा
मुझको यदि संग-संग तेरे भी रहने का विश्वास रहे।
मुझे न होगी धन की चिंता
दुख-अभाव मैं सब सह लूँगा,
मेरे अश्रु पोंछने को यदि तेरा आँचल, पास रहे।