sab kuchh krishnarpanam
मैंने तेरी तान सुनी है
शांत विजन में
सुमन-सुमन में
हर तरु-तृण में
लय अनजान सुनी है
दूर गगन में
तारा-गण में
है त्रिभुवन में
जो गतिवान, सुनी है
अपने मन में
हर धड़कन में
आकुल क्षण में
रचते गान सुनी है
मैंने तेरी तान सुनी है
July 85