shabdon se pare

यह भी बीत जायगा, सब कुछ बीत जायगा
कल तक जो था नया
आज मिट गया, उड़ गया
जिधर ग्रीष्म चल दिया, उधर ही शीत जायगा
फूल न कहीं तितलियाँ
दिखेंगी सूनी गलियाँ
कोयल के पंखों पर मधु का गीत जायगा
जितने भरे कलश हैं,
सुधा, विष, रस कि विरस हैं
सब को काल-पुरुष मुँह ढाँपे रीत जायगा
यह भी बीत जायगा, सब कुछ बीत जायगा

1966