tilak kare raghuveer

मन रे! डाँड़ न छूटे कर से
अबकी झोंके में पानी ऊपर आयेगा सर से

इधर अँधेरा, उधर अँधेरा
देख अपार शून्य का घेरा
साहस तनिक न कम हो तेरा

खो जाने के डर से

अपने सभी दाँव जब हारे
तंत्र-मंत्र हों झूठे सारे
रहना श्रद्धा-रज्जू सँवारे

लड़ते हुए भँवर से

जिसकी ज्योति-किरण तू अक्षय
खड़ा पीठ पर वह करुणामय
तुझे खींच ही लेगा निश्चय

लहरों के अन्दर से

मन रे! डाँड़ न छूटे कर से
अबकी झोंके में पानी ऊपर आयेगा सर से