tilak kare raghuveer

और क्या तुझे चाहिए, बोल
मन रे! अब तेरे सम्मुख हैं सब भूगोल-खगोल

यदि इनसे संतोष न आता
तो मैं तुझमें तुझे बुलाता
देख, जहाँ चित् रास रचाता

अंतर के पट खोल

सूरज, चाँद और ये तारे
जिसके पद-सेवक हैं सारे
आप वही जब तुझे पुकारे

क्या है इनका मोल!

सब शंकायें दूर भगा दे
निज में श्रद्धा-ज्योति जगा दे
एक उसी में ध्यान लगा दे

इधर-उधर मत डोल

और क्या तुझे चाहिए, बोल
मन रे! अब तेरे सम्मुख हैं सब भूगोल-खगोल