tujhe paya apne ko kho kar
जीवन, आ तुझको दुहराऊँ!
एक बार फिर से वे बीते दिवस ध्यान में लाऊँ
पहले शैशव स्मृतियाँ आयें
बिछुड़े हुए बंधु मिल जायें
गुरुजन स्नेह दिखा हुलसायें
खोया बचपन पाऊँ
देखूँ फिर यौवन की गलियाँ
नित-नित नयी-नयी रँगरलियाँ
दृग के सम्मुख उड़ें तितलियाँ
सपनों में खो जाऊँ
फिर अब तक जो है अनजानी
कह दूँ वह अनकही कहानी
अंतर की यह पीर पुरानी
जग को खोल दिखाऊँ
जीवन, आ तुझको दुहराऊँ!
एक बार फिर से वे बीते दिवस ध्यान में लाऊँ