aayu banee prastavana

जी करता है आँखें मूँदूँ
तुमको इन बाँहों में कस कर तम के अतल जलधि में कूदूँ

मन का सूत्र भले खो जाये
मन का तार नहीं टूटेगा
प्रिये! हमारे मुग्ध क्षणों का
यह संसार नहीं छूटेगा
मिट न सकेगा प्रेम हमारा चिर-विस्मृति का तट भी छू दूँ

चिर-वियोग का क्षण जीवन का
सबसे कठिन समय होता है
किन्तु तुम्हारे भुजपाशों में
वह कितना मधुमय होता है
तुम मुझको अपना आँचल दो, मैं तुमको अपने आँसू  दूँ

जी करता है आँखें मूँदूँ
तुमको इन बाँहों में कस कर तम के अतल जलधि में कूदूँ

1983