ahalya

‘जब तक धरती पर गंगा-यमुना की धारा
जब तक अंबर द्योतित है रवि-शशि के द्वारा
तब तक गूँजेगा रवि-कुल की जय का नारा–
आसेतु हिमाचल, छोड़ेंगे संसृति-कारा–
जन, नाम राम का लेकर

‘अन्यायी असुर-समूह आज से ध्वस्त, त्रस्त
सत्-न्याय जयी, सुजनों का जीवन-पथ प्रशस्त
नृप! सुफल आज भू की अंतर-ज्वाला समस्त
सुत विमल तुम्हारे, जग-प्रतिपालक, वरद-हस्त
दे रहे मुक्ति-फल घर-घर’