ahalya
बोले मुनि, ‘राजन धैर्य धरो सब सुनकर भी
असुरों से रण की युक्ति रचेगी और कभी
तुम रहो अवध में, रहे तुम्हारी सैन्य सभी
बस मुझको दे दो राम-लखन दो कुँवर अभी
निज आश्रम की रक्षा को
ये सिंह कुमारों से निर्भय, वय के किशोर
लघु भी महान हैं, धीर, वीर, कोमल, कठोर
जन-मन-हारी, धर्माचारी, जग-मुकुट-मौर
नृप! मुझे मिलेंगे ऐसे रण-बाँकुरे और
असुरों से रण-दीक्षा को!’