ahalya

देखे मुनि के सँग कोटि-काम-शोभाभिराम
इन्दीवर-निन्दित-नयन, राम, घन-सजल-श्याम
नत, शांत, मौन, स्वस्थित-से, चिर आनंद-धाम
युग भक्ति-मुक्ति-से चरण, भीत भाव के विराम
संकुचित धरा पर धरते

गंभीर, धीर, शुचि, सरल, गुणों के समुचय-से
पीछे लक्ष्मण तनु गौर, आ रहा यश जैसे
सब पाप-ताप कर क्षार स्नेहमय दृग-द्वय से
धनु-शर कर, उर मणि-माल, बढ़ रहे विस्मय-से
भव को आलोकित करते