bhakti ganga
मंगल साज सजे
मंगल वीणा, मंगल वादक, मंगल राग बजे
मंगल भाव भरे अंतर हों
मंगल ध्वनि, मंगल अक्षर हों
मंगलमय वाणी के वर हों
कवियों के सिरजे
जग के जन-जन का मंगल हो
घर-घर में सुख-शांति अमल हो
भू पर बंधु-भाव अविचल हो
गगन लाख गरजे
मंगलमय जीवन प्रतिपल हो
उर में श्रद्धा का संबल हो
स्वर कितना भी क्षीण, विरल हो
तुझको सदा भजे
मंगल साज सजे
मंगल वीणा, मंगल वादक, मंगल राग बजे