bhakti ganga
मैंने तो केवल भाषा दी है
विचार आपके हैं, भाव आपके हैं
पीड़ा आपकी, अभाव आपके हैं
हार-जीत के ये दाँव आपके हैं
मैंने तो केवल आशा दी है
जी नहीं करता, चाल मंद करें
पासे फ़ेंक डालें, खेल बंद करें
जो भी करना हो , निर्द्वंद करें
मैंने केवल अभिलाषा दी है
एक विस्तार है सिमटता हुआ
अघटित जैसे कुछ घटता हुआ
शत-शत रूपों में एक बँटता हुआ
मैंने केवल परिभाषा दी है
मैंने तो केवल भाषा दी है