bhakti ganga
हे प्रभु! सब अपराध हमारे क्षमा करो
हम अबोध शिशु नाथ तुम्हारे क्षमा करो
लोभ-मोह-वश, जाने या अनजाने में
दोष हुए जो बिना विचारे, क्षमा करो
भूले मन्त्र त्याग के सारे क्षमा करो
भोग किये प्राणों से प्यारे क्षमा करो
अर्थ-काम के रथ में अविरत जुते रहे
हम अपने ही मन से हारे क्षमा करो
थे अनीति पर चुप्पी धारे क्षमा करो
डिगे सत्य से भय के मारे क्षमा करो
चिर-अहेतुकी कृपा तुम्हारी पाकर भी
फिरे जगत में हाथ पसारे, क्षमा करो
नहीं सूझते कहीं किनारे, क्षमा करो
संकट से अब कौन उबारे, क्षमा करो
सब से थक कर शरण तुम्हारी आये हैं
हे आशाओं के ध्रुव तारे! क्षमा करो
विकल हृदय अब किसे पुकारे! क्षमा करो
तुम्हीं शेष के एक सहारे, क्षमा करो
क्षमा करो, हे क्षमा-सिन्धु! भव-भय-हर्ता!
हे करुणामय पिता हमारे! क्षमा करो