ek chandrabimb thahra huwa
माना कि आज
मैं सभी के द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया हूँ,
प्रभात के बुझते हुए दीपक-सा
देहली पर लाकर धर दिया गया हूँ.
पर तेरी आँखों की कोर से तो
अब भी मेरे लिए आँसू ही बहते हैं,
तेरी बाँहें तो आज भी मेरे लिए खुली हैं,
तेरे प्राण तो अब भी मेरे लिए धड़कते रहते हैं।