ek chandrabimb thahra huwa

यह सही है
कि मेरी कविता के शब्द-शब्द से
पीड़ा, संवेदना और प्रेम का उन्माद छलकना चाहिए
परन्तु उसे पढ़ते समय
क्या तुम्हारी आँखों से कुछ भी नहीं झलकना चाहिए!