geet vrindavan
लोग थे फूले नहीं समाये
ज्यों ही सुना द्वारिका से हैं दूत श्याम के आये
सुना, नन्द-हित फल के डाले
जसुमति-हित सोने के प्याले
भाँति-भाँति के शाल-दुशाले
ग्वाल-बाल हित लाये
सब पर किन्तु उदासी छायी
फिर से शोक घटा घिर आयी
युग से जिसकी आस लगायी
जब न वही दे पाये
हरि वृन्दावन आयेंगे कब
व्याकुल राधा ने पूछा जब
शीश झुका कर मौन हुए सब
लौटे भेंट लदाये
लोग थे फूले नहीं समाये
ज्यों ही सुना द्वारिका से हैं दूत श्याम के आये