geet vrindavan

मेघ तो फिर-फिर ये छायेंगे
पर वैसे ही दिवस सुहाने क्या व्रज में आयेंगे!

सूनी गलियाँ, सूना पनघट
सूना ही होगा वंशीवट
जब भी जायेंगे यमुना-तट

रोते ही जायेंगे

गाँव-गाँव में भीड़ लगाये
लोग कहेंगे पूर्व कथायें
पर कितनी भी बात बनायें

श्याम न मिल पायेंगे

फिर भी भुला काल की बाधा
क्या हरि सँग न दिखेगी राधा
जब अपने गीतों का आधा

पद भी हम गायेंगे

मेघ तो फिर-फिर ये छायेंगे
पर वैसे ही दिवस सुहाने क्या व्रज में आयेंगे!