nao sindhu mein chhodi

तुझसे तार जुड़ा है मेरा
और बीच में जो कुछ है सब चलता-फिरता डेरा

प्राण सतत जाते हैं भागे
धरे अजान स्नेह के धागे
मैं बढ़ता जाता हूँ आगे

करता पार अँधेरा

मेरे सुर में झंकृत होगी
विरह-व्यथा जो मैंने भोगी
पा लेंगे ये प्राण वियोगी

परम धाम जब तेरा

जो कल यह सुर दुहरायेगा
अपने पास मुझे पायेगा
यद्यपि पंछी उड़ जायेगा

तोड़ हवा का घेरा

तुझसे तार जुड़ा है मेरा
और बीच में जो कुछ है सब चलता-फिरता डेरा