nao sindhu mein chhodi
सब कुछ साथ-साथ चलता है
गाना भी है, रोना भी है, बल है, दुर्बलता है
जब यह मन तुझमें रम जाता
जुड़ जाता असीम से नाता
अंधकार को दूर भगाता
ज्यों दीपक जलता है
पर जब संशय-तम ढँक लेता
तप-संयम कुछ काम न देता
नौका क्षुब्ध सिन्धु में खेता
नाविक कर मलता है
सब कुछ साथ-साथ चलता है
गाना भी है, रोना भी है, बल है, दुर्बलता है