pankhuriyan gulab ki
लाख चक्कर हों सुराही के, हमारा क्या है !
हम तो प्यासे रहे पानी के, हमारा क्या है !
उनकी महफ़िल है, शराब उनकी है, प्याला उनका
हम तो दो घूँट चले पीके, हमारा क्या है !
उड़ रही है तेरे जूड़े की जो ख़ुशबू हर ओर
एक सिवा दिल की तसल्ली के, हमारा क्या है !
हँसके बहला भी लिया, रूठके तड़पा भी दिया
हम हैं मुहरे तेरी बाज़ी के, हमारा क्या है !
जब कहा उनसे– ‘खिले आज तो होंठों पे गुलाब’
हँस के बोले कि हैं माली के, हमारा क्या है !