pankhuriyan gulab ki
कई सवाल तो ऐसे भी जी में आये हैं
कि सुनके जिनको बहुत आप मुस्कुराये हैं
नशे-नशे में उन्हें कह दिया है क्या हमने !
वे आज हमसे निगाहें मिला न पाये हैं
भले ही राह में दिल की थे सैकड़ों तूफ़ान
मगर हम आपकी लौ को बचाके लाये हैं
हमारी राह में आये हैं कुछ ऐसे भी मुक़ाम
वे बेनक़ाब हैं, मुँह को हमीं छिपाये हैं
गुलाब ! आपकी ख़ुशबू भी उनको क्या मिलती !
जो अपने पाँव पँखुरियों पे रखके आये हैं