pankhuriyan gulab ki

थोड़ा पी लेते जो तलछट में ही छोड़ा होता
आपने हमसे कभी रुख़ भी तो जोड़ा होता !

उसने ठोकर से जो प्याले को भी तोड़ा होता
हमने आँखों से तो पीना नहीं छोड़ा होता

नाव इस तरह भँवर में न लगाती फेरे
दिल में माँझी के अगर प्यार भी थोड़ा होता !

देखकर ही जिसे आ जाती बहारों की याद
आँधियों ! फूल तो एक बाग़ में छोड़ा होता !

डर न होता जो उसे डाल के काँटों का, गुलाब !
देखकर उसने तुझे, मुँह नहीं मोड़ा होता