pankhuriyan gulab ki

प्यार औरों से नहीं, हमसे अदावत न सही
है तो शोख़ी ये निगाहों की, शरारत न सही

लीजिए, हम वो मुक़दमा ही उठा लेते हैं
अपनी क़िस्मत ही सही, आपकी आदत न सही

आप आयें न अगर हमको बुला सकते हैं
हमको फुरसत है बहुत, आपको फुरसत न सही

दिल में जो आपकी तस्वीर उतर आयी है
रंग तो प्यार का उसमें है, हक़ीक़त न सही

उनके गमले में तो हर रोज़ ही खिलता है गुलाब
न हुई तेरी अगर बाग़ में इज्ज़त, न सही