ret par chamakti maniyan

इन अनंत-अनंत रूपों में
उस एक का ही प्रकाश हो रहा है,
चारों ओर मुझे राधाकृष्ण की ही युगल-मूर्तियाँ दिखाई देती हैं,
आठों पहर आँखों के आगे महारास हो रहा है