ret par chamakti maniyan

ज़हर को पीना ही नहीं, पचाना पड़ता है,
अपमान की ठोकरें खाकर भी मुस्कुराना पड़ता है,
तब कहीं चिड़ियाँ के घोंसले में एक दाना पड़ता है।