ret par chamakti maniyan

हे भर्तृहरि !
करने चला था मैं आपकी बराबरी,
पर आपके खिलाए तीन सौ पारिजात
आज एक हजार वर्षो के बाद भी
वैसी ही शान से हवा में लहराते हैं
जबकि मेरी बगिया के फूल
खिलते-खिलते ही कुम्हलाने लग जाते हैं।