roop ki dhoop
आज की रात
खूब सावन की झड़ी, आज की रात
है कयामत से बड़ी, आज की रात
ये हवा, ऐसी फ़िजा, और न तुम
मौत भी दूर खड़ी आज की, रात
कल नहीं एक घड़ी आज की रात
नींद भी हमसे लड़ी आज की रात
एक तुम ही नहीं जलाने को
तुम्हारी सौत बड़ी, आज की रात
है हवा सर्द बड़ी आज की रात
और रातों से कड़ी आज की रात
क्यों कहा था कि लौट आयेंगे!
जान मुश्किल में पड़ी, आज की रात
बेकरारी है बड़ी आज की रात
कहर है घड़ी-घड़ी, आज की रात
अब तो आ जाओ, कल किसे होगा!
मौत सिरहाने खड़ी, आज की रात
रूठने की न घड़ी, आज की रात
पीछे नागिन-सी पड़ी, आज की रात
प्यार का मंत्र कोई हो तो पढ़ो
सामने होके खड़ी, आज को रात
1966