usar ka phool

सदा मुस्कुरानेवाली

मुझसे दूर हुई तुम मेरा हृदय चुरानेवाली

और आज मैं भी जीवन का दुर्दिनमय पथ काट रहा हूँ
ही क्षीण मुस्कान सबों को जाते-जाते बाँट रहा हूँ

‘दर्शन दुर्लभ’, कहती साँसें आने-जानेवाली

मेरी ऐसी दशा देख, यदि होती पास, चीख पड़ती तुम
तिल भर ओट न होने को भी सम्मुख से, बरबस अड़ती तुम

दो काली-काली आँखों में जल भरलानेवाली

दुख में पड़कर समझ सका हूँ पीड़ा दुखी हृदय के दुख की
नहीं देखनी पड़े किसीको कातर दृष्टि किसीके मुख की

हरी-भरी सुख की दुनिया में आग लगानेवाली
सदा मुस्करानेवाली !
मुझसे दूर हुई तुम मेरा हृदय चुरानेवाली

1943