आयु बनी प्रस्तावना

  1. आँसू को बूँदों से गढ़ता मैं प्रतिमा सुकुमार तुम्हारी 
  2. आज मेरे होंठ पर तिरती सुलगती प्यास किसकी 
  3. आधा जीवन तो बीत गया ! 
  4. आ सकूँ यदि मैं न आधी रात को सागर किनारे 
  5. इतना रूप सवारूँगा तो कर कुछ और गुमान न लोगी 
  6. इतनी उलझन क्यों आनन पर ! मुझको आधा ही मन दे दो 
  7. एक मृत्यु स्पंदन अपना है 
  8. ऐसी लगन लगी प्राणों में, पीड़ा ही गलहार बन गयी 
  9. ओ मेरे जीवन की वीणा ! 
  10. अंतर का कोई द्वार कभी तो  
  11. किसी की ओर मत देखो कि मेरा जी दहलता है  
  12. किसी की भावना में ज्वार आ जाए तो कैसा हो 
  13. कैसे मिले प्राण प्राणों से, उर उर के स्पंदन से 
  14. गिरा, खोया हुआ जैसे कहीं कुछ पा गाया हूँ मैं 
  15. जब सुनहली चेतना के ज्वार में 
  16. जबसे तुमसे प्यार हो गया 
  17. जी करता है आँखें मूँदूँ   
  18. जीवन सफल करो 
  19. टूटी हुई लहर हूँ मैं, मुझको अलकों का साज दो 
  20. तुमको छोड़ चला जाऊँगा 
  21. तुमने जो कुछ दिया प्राण के 
  22. तुम्हारी चेतना के तीर पर 
  23. तुम्हारी मदभरी चितवन मुझे जीने नहीं देगी 
  24. तुम्हें प्यार करने के पहले 
  25. तुम्हें मैं किस तरह भूलूँ ! 
  26. देह नहीं मैं देहेतर से करता प्यार रहा हूँ 
  27. धुप न रचती शीत चन्द्रिका 
  28. न तो किसी कुंतल से उलझा 
  29. प्रतिदिन, प्रतिपल साथ तुम्हारे 
  30. प्राण-वीणा के सुनहले तार जब खुलने लगेंगे 
  31. प्रिय ! सरकता जा रहा है हाथ से आँचल तुम्हारा 
  32. फिरता रहा चतुर्दिक जग में विकल, 
  33. बरसात कि बहारें 
  34. मुझे तुम्हारा स्नेह चाहिए 
  35. मेरा वश क्या टूट रही अभिव्यक्ति में 
  36. मेरे भाग्य पड़ी जो मदिरा 
  37. मेरे मन में कोई राधा बेसुध तान लिए बैठी है 
  38. मेरे मन में चित्र तुम्हारा 
  39. मैंने कब चाहा कि तुम्हारे 
  40. मैंने तुम्हें वहां से ग्रहण किया है 
  41. मैं तो घायल हुआ तुम्हारी मंद, 
  42. यह इतिहास अनंत एक लघु क्षण में ले लो 
  43. रूप की राह में, प्रेम की चाह में 
  44. ह्रदय में बस गये मेरे,