बिखरे फूल
- अब ये फूल फूल रस-भीने
- उठ उठ कर अतीत के तल से
- उड़कर फिर अतीत में जायें
- अक दिन वासंती संध्या में
- कभी सपनों में ही मिल जाते
- कैसे कह दूँ-‘था संयोग’
- कैसे मोल करूँ उस क्षण का
- ग़ज़ल कहो या गीत
- चैती
- जीवन फिर से भी यदि पाऊँ
- नहीं है नया हमारा प्यार
- मुझे जग लगता सपने जैसासभी कुछ थी इस मन की माया
- साथ भी सदा न हम रह पायें
- होली-गीत