गीत रत्नावली

  1. कौन यह खड़ी अँधेरे पथ पर,
  2. कैसे राम-चरित हम गाते !
  3. प्रेम पत्नी का यों गहराया
  4. नाथ ! यह अच्छी प्रीति दिखायी
  5. भली शिक्षा गुरु से थी पायी
  6. प्रीति यदि होती राम चरण में
  7. ज्योति की धारा-सी उमड़ी है
  8. कैसा अद्भुत यह परिवर्तन !
  9. राम ही राम रटे मन मेरा
  10. रत्ना ! अब न रुकूँगा घर में
  11. स्वामी  ! छोड़ें यों न अनाथ
  12. राम के साथ कम टिक पाता !
  13. आपके प्रभु ने यही सिखाया
  14. बात तेरी सच है यह माना
  15. प्राण देकर भी वचन निभाते
  16. रत्ना! तू जीती, मैं हारा
  17. करूँ क्या ! हाय बता अब माई !
  18. भूल किससे न हुई जीवन में
  19. भाग्य को जीत सका है कोई
  20. गोद में सो जा, रत्ना ! मेरी
  21. कभी मेरी सुधि भी आयी है
  22. अब तो माँ भी नहीं रही है
  23. जीवन रोते रोते बीता
  24. डोली सज दे ओ री माई 
  25. यदि मैं सपना देख रही थी
  26. रत्ना ! यों न विकल कर मन को
  27. सभी क्या सपने की थी माया
  28. उन्हें भज, रे जगजीव गँवार
  29. पधारें, तुलसीजी महराज !
  30. कौन रत्ना की दशा बताये !
  31. रत्ना यों मुँह रह न छिपाये
  32. प्रिय को कभी भुला भी पाये
  33. आपने हरि का जस तो गाया
  34. रही ले व्यथा अबोल ह्रदय की
  35. खोल तो रहे मुक्ति का द्वार,
  36. प्रीति कि रीति भली अपनायी
  37. प्रिया को दे वियोग परिताप,
  38. उचित मुझ पर आक्रोश सभी का
  39. आप तो अपने मन कि बोले
  40. प्रिये ! यों डिगा न मेरे प्रण को
  41. नाथ ! फिर क्यों हो विरह हमारा !
  42. काल का रथ यदि उलटा जाता,
  43. दृश्य देखे यह सकल समाज
  44. हुआ जो कुछ भी आज सही है