ऊसर का फूल
- अब मेरी पीड़ा से खेलो
- आ जा, ओ मेरे जीवन की
- आत्म-चिंतन
- आधा-आधा चित्र उतरता है
- कब आएगा वह!
- कितने दिनों के बाद तुम्हें
- कूकता आया कभी था, आज तो मैं हूक बनकर जा रहा हूँ
- गायन एक अपूर्ण रह गाया
- चली संध्याभिसारिका
- जय हो
- जलता समक्ष बिजली का
- जैसे मेरी कविता है
- तड़प रहा है ह्रदय तुम्हारा
- तारक-शिशु
- तीन चित्र
- दृगों को कर गयी शीतल
- पतझड़ और तितली
- प्रथम दर्शन
- पावस-संध्या
- फूल खिला ऊसर में
- मैं फिर एक उड़ान भरूँगा
- मैं तुम्हारे गीत की वह पंक्ति होता एक
- मैं तुम्हारे चित्र को ही प्यार कर लूँगा
- मेरे गीत तुम्हारे ही तो हैं
- राजस्थान कि एक प्रेम-कथा
- शब्द मेरे
- सदा मुस्कुरानेवाली
- सांध्य-तारा