उषा
- अयि अमर चेतने ज्योति किरण (दशम सर्ग)
- आधा यौवन हो चूका शेष
- इस जलते जीवन का प्रमाद (दशम सर्ग)
- इस पार कौन? उस पार कौन? (दशम सर्ग)
- इस मधुर स्वप्न का कहीं अंत! (दशम सर्ग)
- ऐसी मेरे मन की भाषा
- ओ मन की हलचल ! ठहर, ठहर
- छाया कैसा यह इंद्रजाल
- जीवन का क्षण-क्षण नाच रहा (दशम सर्ग)
- तुम कौन पिकी-सी रही बोल (दशम सर्ग)
- तुम प्रेम न इतने बनो क्रूर
- प्रिय तुम तो सावन के प्रभात (दशम सर्ग)
- फिर होगा जीवन का विचार
- भीख स्नेह की सजल नयन कितनी ही माँगे (एकादश सर्ग)
- मुझको न व्यथा से बहलाओ
- मैं अमाँ की एक विस्तृत तान (पंचम सर्ग)
- मैं जीवन-सत्ता दुर्निवार ( दशम सर्ग)
- मैं बढ़ता जैसे अग्नि बाण
- मैं धधक रहा बन प्रलय ज्वाल
- यह कैसा कोमल करुण राग (दशम सर्ग)
- यह मेरे मन का अन्धकार