व्यक्ति बनकर आ

  1. अब मेरी वीणा बाह्य उपकरणों से स्वच्छंद है; 
  2. अभिव्यक्ति ने तो आकाश को छुआ है  
  3. आकाश के पृष्ठ पर लिखा 
  4. आकाश का यह कौन-सा किनारा है  
  5. आप चाहे तो इन्हें गद्य ही कहें 
  6. आंसुओं को रोक मत, बहने दे 
  7. इसके पहले कि सूरज अस्त हो जाए 
  8. ओ कुम्भकार 
  9. ओ मेरे मन ! 
  10. ओ मेरे मन ! दीन हो जा 
  11. ओ वादक ! 
  12. कभी हम भी आकाश में उड़कर  
  13. क्या तुझे नींद आ रही है 
  14. क्या तू मुझे इसलिए गोद में लेना नहीं चाहता 
  15. कितनी तेज़ी से सब कुछ बदल जाता है 
  16. कितना असहाय हूँ मैं 
  17. कैसी है यह विडंबना 
  18. कोई भी आरम्भ नया नहीं है 
  19. जब अगली पंगत बैठेगी 
  20. जब कहीं कुछ भी नहीं था 
  21. जब मैं तेरे पास पहुँचूँगा तो तू 
  22. जब रोम-रोम बाहू-पीड़ा की 
  23. तू इतना दुखी और उदास क्यों है 
  24. तू एक शक्ति है यह तो निर्विवाद है 
  25. तूने आज मुझे बड़ी उलझन में डाल दिया है 
  26. तूने मुझे फूल दिए 
  27. तूने रस्सी का एक सिरा मेरी 
  28. तू मुझे अपने से दूर दूर क्यों रखता है 
  29. तू यह भली-भांति जान ले 
  30. तेरी दयालुता का बखान कैसे करे 
  31. द्वार में द्वार में द्वार 
  32. दुख ही सत्य है 
  33. देखते-देखते 
  34. धधक कर बुझ चुकी है 
  35. धरती कि सीमायें अब मुझे 
  36. धरती में गड़ा बीज चिल्लाया— 
  37. पहले वीणा के तारों को सुधारा 
  38. पुनर्जन्म में शंका व्यर्थ है 
  39. फूल को इसका दुख नहीं है 
  40. माना, तू निर्गुण, निर्लिप्त, निष्क्रिय है 
  41. मुझे इसका दुख क्यों हो 
  42. मुझे मिटा नहीं सकोगे 
  43. मुझे क्षमा कर देना यदि 
  44. मुझमें अनंत सम्भावनाएं भरी हैं 
  45. मुझसे वह पाप बचपने में हो 
  46. मुझे मेरे कवि ने कहा– 
  47. मेरा मस्तक लज्जा से झुक जाता है  
  48. मेरे बच्चे ! 
  49. मेरे पिता ! 
  50. मेरे सिरजनहार ! 
  51. मैं अपना किसको कहूँ 
  52. मैं इन धूल भरी गलियों में 
  53. मैं उन सीढ़ियों पर आकर बैठ गया हूँ 
  54. मैं कविता से गद्य पर उतर आया हूँ 
  55. मैं तुझे किस नाम से पुकारूँ 
  56. मैं तेरी ओर बढ़ता हूँ 
  57. मैं तुझसे वरदान और क्या माँगूँ ! 
  58. मैं तुमसे क्षमा तो मांगता हूँ 
  59. मैं देहरी का पत्थर ही भला 
  60. मैं यह मानता हूँ कि  
  61. मैं सदा जिसके लिए भटकता रहा  
  62. मैं सुना है, तेरी संभावनाओं का 
  63. वह जो गाना था मुझे अगेय ही रहा 
  64. शब्दों के रँग-बिरंगे पिटारों में 
  65. श्वेत-श्याम अश्वों से जुते आकाश 
  66. सीपियाँ बटोरते-बटोरते साँझ हो गयी  
  67. सूरज और चाँद के पहियों पर 
  68. सूरज को डूबता देख कर 
  69. संग्रह अच्छा है 
  70. हम सब असत्य है