सम्मान

गुलाबजी की प्रतिभा को देश तथा विदेश में सम्मान मिला

 

भारत

  • १९७९ में उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने गुलाबजी को सम्मानित किया।
  • १९८९ में गुलाबजी को हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग, द्वारा पद्मभूषण डा. रामकुमार वर्मा की अध्यक्षता में ‘साहित्य वाचस्पति’ (पी. एच. डी.) की सर्वोच्च उपाधि से सम्मानित किया गया।
  • १९९७ में गुलाबजी की दो पुस्तकों – ‘भक्ति-गंगा’ तथा ‘तिलक करें रघुबीर’ – का उद्‍घाटन माननीय राष्ट्रपति श्री शंकरदयाल शर्मा के कर-कमलों द्वारा हुआ।
  • २००१ में उत्तर प्रदेश के इटावा शहर में गुलाबजी को श्री मुरारी बापू, श्री विष्णुकांत शास्त्री, श्री शांतिभूषण तथा मुलायम सिंह यादव ने मिलकर सम्मानित किया, जिसपर मुरारी बापू ने कहा, “आज धर्म, शासन, राजनीति और कानून ने एकसाथ आपको सम्मानित किया है”।

 

अमेरिका

  • गुलाबजी को १३ जुलाई १९८५ को काव्य-सम्बन्धी उपलब्धियों के लिये अमेरिका के बाल्टीमोर नगर की मानद नागरिकता (Honorary Citizenship) प्रदान की गयी। इस अवसर पर मेरीलैंड के गवर्नर ने समस्त मेरीलैंड स्टेट में १३ जुलाई को हिन्दी-दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।
  • ६ दिसम्बर १९८६ को अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति, अमेरिका, द्वारा राजधानी वाशिंग्टन डी. सी. में विशिष्ट कवि के रूप में उन्हें सम्मानित किया गया।
  • १० अक्टूबर १९९८ को गुलाबजी को अल्बर्टा हिंदी परिषद, एडमंटन (कनाडा), ने सम्मानित किया।
  • २६ जनवरी २००६ को अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डी. सी. में अमेरिका और भारत के सम्मिलित तत्वाधान में आयोजित गणतन्त्र-दिवस समारोह में मेरीलैंड के गवर्नर द्वारा गुलाबजी को ‘कवि-सम्राट’ की उपाधि से अलंकृत किया गया।
  • २८ अप्रैल २०१३ को अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, ऑहियो (अमेरिका), ने हिंदी साहित्य में अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें ‘आज के तुलसीदास’ खिताब से सम्मानित किया।
  • २२ अप्रैल २०१७ को ऑहियो (अमेरिका) की वज़्मे-सुखन संस्था ने गुलाबजी के साहित्यिक योगदान पर उन्हें ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित किया।

 

 

गुलाबजी बीस वर्षों से भी अधिक काल तक हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग, के सभापति रहे। इस पद पर वे सर्वसम्मति से लगातार छः बार चुने गये। २००७ में पं. मालवीयजी द्वारा स्थापित सुप्रसिद्ध साहित्यिक संस्था भारती परिषद, प्रयाग, के वे अध्यक्ष चुने गये। अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी समिति की ओर से अमेरिका में प्रकाशित त्रयमासिक पत्रिका ’विश्वा’ के सम्पादक-मंडल के वे १५-१६ वर्षों तक वरिष्ठ सदस्य रह चुके थे। गुलाबजी ‘अर्चना’ (कोलकाता) के अध्यक्ष भी रह चुके थे। गुलाबजी के सभापतित्व में श्री अटलबिहारी वाजपेयी ने वाशिंगटन डी. सी. (अमेरिका) में कविता पाठ किया था।