शोध

महाकवि गुलाब खंडेलवाल के काव्य पर हुये शोध

गुलाबजी के साहित्य पर सर्वप्रथम मुकुल खंडेलवाल ने एम. ए. का शोध-निबन्ध १९७८ में मगध विश्वविद्यालय से श्री श्याम नंदन सिंह के निर्देशन में प्रस्तुत किया था। उसके बाद श्री हंसराज त्रिपाठी के निर्देशन में दो शोध-निबन्ध अवध विश्वविद्यालय से हुये। श्रीमती प्रतिभा खंडेलवाल भी मगध विश्वविद्यालय से उनके साहित्य पर पी. एच. डी. का शोधपत्र पूरा कर चुकी हैं।

गुलाब खंडेलवाल के काव्य के विविध अंगों पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में पी. एच. डी. के नौ शोधनिबंध लिखे जा चुके हैं तथा  इन सभी विद्यार्थियों को पी. एच. डी. की उपाधि प्रदान की गई:

  • सागर विश्वविद्यालय, मध्य-प्रदेश से यशवन्त सिंह को १९६६ में – ‘हिंदी के वाद-मुक्त कवि’
  • मगध विश्वविद्यालय, बिहार से रवीन्द्र राय को १९८५ में – ‘कवि गुलाब खंडेलवाल व्यक्तित्व और कृतित्व’
  • मेरठ विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश से विष्णुप्रकाश मिश्र को १९९२ में – ‘गुलाब खंडेलवाल: जीवन और साहित्य’
  • रुहेलखंड विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश से पूर्ति अवस्थी को १९९४ में – ‘कवि गुलाब खंडेलवाल के साहित्य का आलोचनात्मक अध्ययन’
  • महात्मा ज्योतिबा फुले विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश से स्नेहकुमारी कनौजिया को २००६ में – ‘गुलाब खंडेलवाल के काव्य का शास्त्रीय अध्ययन’
  • कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा से राज यादव को २००८ में  डॉ॰ रमापति सिंह के निर्देशन में हुये एक शोध को
  • अवध विश्वविद्यालय से अंकिता मिश्रा को २०११ में – ‘कवि गुलाब की काव्य दृष्टि’
  • नागपुर विश्वविद्यालय से कुमारी मोनिका गोडारा को २०२१ में – ‘महाकवि गुलाब खंडेलवाल की काव्य भाषा और शिल्प विधान’
  • राजस्थान विश्वविद्यालय से राकेश कुमार गुजरनिया को  २०२२ में – ‘गुलाब खंडेलवाल की काव्य भाषा में राष्ट्रीय चेतना की अभिव्यक्ति’