geet ratnavali
उन्हें भज, रे जगजीव गँवार!
दशरथ के घर में जनमे जो, जग के सिरजनहार
सोते और जागते प्रतिक्षण
करता रह उनका ही सुमिरन
वही काट माया के बंधन
लेंगे तुझे उबार
मिले आयु के दिन हैं थोड़े
यहीं रहेंगे जो धन जोड़े
खेल-खिलौनों से मुँह मोड़े
कर उनसे ही प्यार
अमित योनियों में फिरने पर
मिला तुझे मानव-तन सुंदर
सीता-राम-भक्ति-रस पीकर
ले अब इसे सँवार
उन्हें भज, रे जगजीव गँवार
दशरथ के घर में जनमे जो, जग के सिरजनहार