kitne jivan kitni baar
पथ के अंतिम मोड़ पर
प्रिये! बिछड़ना ही होगा जब हमें साथ यह छोड़कर
दोनों नयनों में जल भर के
आकर निकट, चिबुक नत करके
कह दोगी सब दुख अंतर के
विदा समय कर जोड़कर
‘तुमसे सब कुछ पाकर भी, मैं
मौन रही चिर-दिन उत्तर में
क्या दूँ आज भला पल भर में
लज्जा तृण-सी तोड़कर !’
देख तुम्हारा वह पछताना
क्या फिर शेष रहेगा पाना!
सुख से, प्रिये! चली तुम जाना
कातर भौं मरोड़कर
पथ के अंतिम मोड़ पर
प्रिये! बिछड़ना ही होगा जब हमें साथ यह छोड़कर