ek chandrabimb thahra huwa
अकेले गाते रहने में गायक को जो सुख मिलता है,
वह सभागूहों के बीच सुने जाने में कहाँ!
मौन इठलाते रहने में फूल की जो मस्ती है,
वह माला के लिए चुने जाने में कहाँ!
अनदिखा, अनजाना प्रकाश लुटाता रहे
इसीमें तो दीपक की सच्ची आत्म तुष्टि है,
केवल प्रेम के नाते तुम्हारे पास रहने में जो आनंद है,
वह संबंधों से बुने जाने में कहाँ!