ek chandrabimb thahra huwa
माना कि हम एक नहीं हो सकते,
मैं भी विवश हूँ, तू भी विवश है,
पर यह द्वैत ही तो
हमारे प्रेम को जीवित रखता है,
यों तड़पते रहने में ही तो
जीने का रस है।
माना कि हम एक नहीं हो सकते,
मैं भी विवश हूँ, तू भी विवश है,
पर यह द्वैत ही तो
हमारे प्रेम को जीवित रखता है,
यों तड़पते रहने में ही तो
जीने का रस है।