kasturi kundal base
हीरों की पोटली सिर पर लादे
मै सब्जीबाजार में जा पहुँचा
जहाँ सुबह से शाम तक भटकते फिरने पर भी
किसीने मुझे पानी को भी नहीं पूछा
जबकि मेरे अन्य साथी
साग-भाजी की टोकरियाँ लिये
हीरों की मंडी में चले गये
और कौड़ियों की वस्तु सोने के मोल बेचकर भी
यही कहते रहे, ‘हम छले गये।’