कस्तूरी कुंडल बसे_Kasturi Kundal Base

  1. अनंत की गुफाओं में कुंडली मारकर बैठे
  2. अपने अन्दर झाँकते जाओ
  3. अपने अहम् में प्रविष्ट होकर मैंने देखा है
  4. आज, कल, परसों
  5. उतावले तो यहाँ सभी हैं
  6. ओ अधीर मन !
  7. ओ गँवारिन पनिहारिन!
  8. ओ डाल के टूटे पत्ते
  9. ओ दाता !
  10. ओ मधुपायी!
  11. ओ मूढ़ मन !
  12. ओ मेरे मन! अकेला तू ही
  13. ओ मेरे मन! तू क्यों भ्रांत हुआ है !
  14. अंत में सभी छले गये
  15. एक दिन तो सब कुछ आप ही छूट जाता है
  16. कही की ईंट कहीं का रोड़ा
  17. कुरुक्षेत्र का युद्ध निरंतर चल रहा है
  18. कोई कुछ भी करे
  19. खट,
  20. गौतम बुद्ध ने कहा था
  21. जब पछताते हुए मैंने कहा—
  22. जन्म तो तूने दिया
  23. जीवन के महासागर में से
  24. जीवन नहीं झुकता, हमीं झुक जाते हैं
  25. जैसे किसी वारवधू को सतत चिंता रहती है
  26. डाल से छूटते ही पत्ता अनाथ हो गया
  27. डूबते सूरज के साथ साथ
  28. तीर का सुख, शांति और संतोष
  29. तुझ तक पहुँचने के
  30. तूने मुझे फूल चुनने का काम सहेजा था
  31. तूने राजसी पोषक में सजाकर
  32. तेरी पूजा हमें यह अवकाश कब देती है
  33. तेरे दिए हुए जीवन को तो
  34. तेरे पास पहुँचने की आशा में
  35. दरवाजे पर यह खटखट कैसी है
  36. दर्पण में यह दरार कैसी है !
  37. दिन बीतते जा रहे हैं
  38. दुःख और अपमान की तीव्र यंत्रणाओं से
  39. दूसरे जब थककर सो जायेंगे
  40. देखते-देखते सारा मोह दूर हो गया
  41. नवयौवन का वह उन्माद
  42. नाव किनारे पर पहुँचे या नहीं
  43. पत्ता जब पीला पड़कर
  44. पहले मैं लाठी को घुमाता था
  45. पार जाने का उतावलापन
  46. पेड़ से टूटा हुआ पत्ता
  47. प्रश्न तो यह है
  48. फूलों से सजने के दिन आ गए
  49. बचपन दुबारा आया है
  50. बादल को तो आख़िर बरसकर बिखर ही जाना था
  51. भले ही तू एक नन्हा सा पत्ता है
  52. माना
  53. माना कि मैं सदा लीक से हटकर चलता रहा हूँ
  54. मुझे इसका गर्व क्यों हो
  55. मुझे ही यह चिंता क्यों हो
  56. मुड़कर नहीं देखना है
  57. मेरी दुर्बलताओं का अँधेरा मुझ तक ही रहे
  58. मेरी बाँहों में महासागर अठखेलियाँ कर रहा है
  59. मेरा मन अनंत चेतना से
  60. मेरी साँसों के स्पर्श से
  61. मेरे चेहरे पर किसी बच्चे कि आँखे लगा दो
  62. मेरे मन से कृतित्व का मोह हटा दे;
  63. मैं इन चाँद, सूरज और तारों से बड़ा हूँ
  64. मैं इनमे से किसीको नहीं पहचानता
  65. मैं जहाँ जाना चाहता हूँ
  66. मैं तो बाँसुरी में केवल फूँक मारता हूँ
  67. मैं तो तेरे हाथ की कठपुतली हूँ
  68. मैं तो केवल लेखनी उठता हूँ
  69. मैं पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहता
  70. मैं फिर उसी स्थान पर आ गया हूँ
  71. मैं भले ही तुझे देख नहीं पाता हूँ
  72. मैंने किसीको
  73. मैंने बालू पर अपने पद-चिन्हों से
  74. मैं शब्दों के माध्यम से
  75. मैं यह नहीं कहता
  76. यदि इस वंशी-वादन को रूकना ही है
  77. यद्यपि सूर्यास्त के पूर्व
  78. यदि कोई मुझसे ईर्ष्या का अनुभव करता है
  79. यह कैसी विकलता है
  80. यह धरती चल रही है
  81. यह सच है कि सभीने
  82. यह सच है
  83. यान निरंतर आगे की ओर भाग रहा है
  84. यों तो मार्ग के हर देव-विग्रह पर
  85. रण-भूमि में लड़ रहे सैनिक को
  86. रात अपने आगे से गुजरती
  87. लहर तीर पर पहुँचकर ख़ुशी से चिल्लायी
  88. विफलताओं से निराश क्यों होऊँ
  89. शब्दों से सबकुछ अंट जाता है
  90. शैतान को हमारी देह से कोई प्रयोजन नहीं
  91. सब कुछ गा चुकने के बाद भी
  92. सब कुछ आज कितना असत्य लगता है
  93. सागर-संतरण का यह पहला चरण है !
  94. सागर-संतरण को निकली नौकाओं का समूह
  95. सूरज की ओर मुँह करके उड़ने वाले
  96. संभावनाओं का अंत नहीं है
  97. हम डाल के सूखे पत्ते हैं
  98. हर सुबह मंदिर के कपाट खुल जाते है
  99. हम सब माया-मृग हैं
  100. हीरों की पोटली सर पर लादे
  101. हमारे जागने और सोने के बीच
  102. ज्ञानी कहते हैं